Friday, March 22, 2013

चलो चलें ...



वो अब हमेशा के लिए मौन रहता है
थोड़े ही वक्त में मेरी भाषा सीख गया.. 
 मुझसे रुकने को कह चल पड़ा केले 
सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...
वादा किया था उससे - कहा मानूंगी
रह गई हूअकेले, अब तक ड़ी वहीं... 
चलो चलें सपनों की ओर  
दूर जा चुके अपनों की ओर ...

14 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कभी कहीं पढ़ा था ...
A friend is someone whom one can silent with.

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

चलो चलें सपनों की ओर दूर जा चुके अपनों की ओर .सुंदर भाव

RecentPOST: रंगों के दोहे ,

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

यही दुनिया का मेला ठेला है।
कोई खड़ा, कोई चला अकेला है।

Ramakant Singh said...

वादा किया था उससे - कहा मानूंगी

रह गई हूँ अकेले, अब तक खड़ी वहीं...

चलो चलें सपनों की ओर

दूर जा चुके अपनों की ओर ...

अंतःकरण को झकझोरता वेदना के पार सब कुछ थोड़े शब्दों में अनकहा सब कुछ कह गया
बहुत खूब

ANULATA RAJ NAIR said...

हाँ दी...
चलो चलें......

सादर
अनु

अशोक सलूजा said...

मौन की भाषा बड़ा कुछ कहती है
सब देखती है ..पर सहती है ...
सुंदर .....

प्रतिभा सक्सेना said...

चलने का मन ,पर राह नहीं!

Rajendra kumar said...

बहुत ही सार्थक रचना.

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर भाव
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प्रवीण पाण्डेय said...

जो आगे चले जाते हैं, उनकी स्मृतियाँ बाँधे रहती हैं। दायित्वों का निर्वाह, स्मृतियों का प्रवाह, तारे हृदय में जगमगा जायेंगे।

Anju (Anu) Chaudhary said...

अकेलेपन में मन के भाव अधिक साथ देते है ..बहुत खूब

दिगम्बर नासवा said...

उदासी के भाव लिए ... अपनों के दुःख लिए ...

Shashi said...

so well written !