चलो चलें ...
वो अब हमेशा के लिए मौन रहता है
थोड़े ही वक्त में मेरी भाषा सीख गया..
मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले
सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...
वादा किया था उससे - कहा मानूंगी
रह गई हूँ अकेले, अब तक खड़ी वहीं...
चलो चलें सपनों की ओर
दूर जा चुके अपनों की ओर ...
14 comments:
कभी कहीं पढ़ा था ...
A friend is someone whom one can silent with.
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
चलो चलें सपनों की ओर दूर जा चुके अपनों की ओर .सुंदर भाव
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यही दुनिया का मेला ठेला है।
कोई खड़ा, कोई चला अकेला है।
वादा किया था उससे - कहा मानूंगी
रह गई हूँ अकेले, अब तक खड़ी वहीं...
चलो चलें सपनों की ओर
दूर जा चुके अपनों की ओर ...
अंतःकरण को झकझोरता वेदना के पार सब कुछ थोड़े शब्दों में अनकहा सब कुछ कह गया
बहुत खूब
हाँ दी...
चलो चलें......
सादर
अनु
मौन की भाषा बड़ा कुछ कहती है
सब देखती है ..पर सहती है ...
सुंदर .....
चलने का मन ,पर राह नहीं!
बहुत ही सार्थक रचना.
बहुत सुन्दर भाव
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जो आगे चले जाते हैं, उनकी स्मृतियाँ बाँधे रहती हैं। दायित्वों का निर्वाह, स्मृतियों का प्रवाह, तारे हृदय में जगमगा जायेंगे।
अकेलेपन में मन के भाव अधिक साथ देते है ..बहुत खूब
उदासी के भाव लिए ... अपनों के दुःख लिए ...
so well written !
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