ये तमाम उन महिलाओं की कहानी है,जो अब तक मुझे कहीं न कहीं टकराई है।इनके नाम सीता,राधा,पार्वती,अनुसुईया,गौतमी,सावित्री,मीरा दामिनी जैसे कुछ भी हो सकते हैं ....
१)
वो भले घर की लड़की,माता-पिता की लाड़ली,बड़ी हुई,शादी हुई,एक बेटी की माँ बनी ,फिर पति का अचानक एक्सीडेंट और सबकुछ तहस-नहस......दूसरी शादी करवा दी गई हितैषियों द्वारा.... अब वो अपनी बेटी से अलग दूसरे पति के बच्चों की माँ है .....
२)
वो भले घर की लड़की, माता-पिता की लाड़ली,बड़ी हुई ,शादी हुई, दो बच्चों की माँ बनी, पति के हर सुख:दुख में हर सम,अय साथ रही,पति की ईच्छा से ही चली,यहाँ तक कि उसकी गलतियों पर भी परदा डालती रही,पति के इतर शौक भी बर्दाश्त करती रही,....बच्चों के बड़े होने पर शादी हुई,बच्चे दूर हो गए,..पति का देहान्त हुआ....... कुछ समय बच्चों ने साथ दिया ....आपसी अनबन के कारण अब पति का व्यापार संभाल रही है अकेले,...परिवार से इतर लोगों के भरोसे ...
३)
वो छोटि ही थी ...माता-पिता गुजर गए .... बड़ी हुई तो रिश्तेदारों द्वारा मर्जी के बिना शादी हुई, वो मारता-पीटता था, आदतें अच्छी नहीं थी, घरवालों ने साथ नहीं दिया,दो बच्चे भी हो गए......एक दिन बच्चों को लेकर घर छोड़ दिया ....काम करने लगी दूसरे शाहर आकर ...पति खोजते-खोजते आ पहुँचा.... काम भी छुट गया ...अब कहाँ होगी पता नहीं ....
४)
वो भले घर की बेटी ..... शादी के बाद एक बेटा हुआ ...पति का एक्सीडेंट में देहान्त हुआ.....माता-पिता के घर रही..स्वतंत्र रूप से पढ़ाई के साथ कार्य भी करती रही ......बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने के बाद अपनी पसन्द से दूसरी शादी कर ली ..अब नए पति के साथ खुश है अपने घर में ...बेटा अलग है ....
क्रमश: