Saturday, July 17, 2010

White -----------पेंटिंग .....................सफेदी .................कविता



WHITE--------ये शीर्षक दिया है वत्सल ने अपनी पेंटिंग को और साथ में ये लाईन------------
So its the color white a combination of all the colors...:-)-----by Vatsal 


सफेदी ..........मेरी कविता .......


लाल मिले जब पीले से -----केसरिया बन जाए,


केसरिया की छटा निराली ----पा- गगन इतराए,


लाल -धवल मिल बने गुलाबी ---- मदहोशी दिखलाए,


पीला मिले जब नीले से ---- हरियाली छा जाए ,


हरा रंग जब छाए धरती पर ---मन झूम-झूम जाए,


मन झूमे तो झूमे जीवन ---खुशहाली छा जाए,


काले संग जब लाल मिलाए --- लाली ही खो जाए,


लाली जब खोए जीवन से .......रंग धवल छा जाए ..........

13 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अरे वाह...!
यह तो बहुत सुन्दर बाल कविता है!

संजय @ मो सम कौन... said...

वत्सल की पेंटिंग और आप की कविता, बढ़िया कॉम्बो पैक लगा।

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर भाव युक्त कविता

संजय भास्‍कर said...

Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

Anonymous said...

पेंटिंगऔर कविता दोनों लाजवाब।
................
नाग बाबा का कारनामा।
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?

प्रवीण पाण्डेय said...

आपकी कविता आनन्द आये।

राज भाटिय़ा said...

दोनो ही बहुत सुंदर लगी जी

बाल भवन जबलपुर said...

वाह

राजीव तनेजा said...

सुन्दर बाल कविता...

दीपक 'मशाल' said...

गंभीर दर्शन की बात कहती है ये कविता.. बालगीत तो नहीं लगती.. हाँ आसान शब्दों में गहरी बात कहती लगती है.. उतनी ही गहरी पेंटिंग भी है... समझने के लिए उतना ही गहरा डूबना होगा जितने में कलाकार गोता लगाये बैठा है...

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

KHOOBSOORAT!

Parul kanani said...

pahle to aapki blog pic ne hi khinch liya mujhe yahan...phir yahan aakar ek ranbirangi si rachna padhi..aur kuch rang utar mujh mein..ab to aana hi hai :)