Friday, December 10, 2010

सुबह से दाँयी आँख फ़ड़क रही थी-----हो गया न उल्टा पुल्टा--

 

 ये सब हुआ उन्मुक्त जी के कारण --एक कठिन प्रयास...(संगीत के साथ गाना मेरे बस का नहीं )

10 comments:

Smart Indian said...

अरे वाह. अगर आपका पहला प्रयास इतना सुन्दर है तो आगे बेहतर ही होता जाएगा. यह प्रयास जारी रहे! शुभकामनाएं!

दीपक 'मशाल' said...

अनुराग सर ने सही कहा...

केवल राम said...

नमस्कार
अरे वाह ...आपका प्रयास सराहनीय है...शुभकामनायें

संजय कुमार चौरसिया said...

आपका प्रयास सराहनीय

बाल भवन जबलपुर said...

संगीत के साथ गायकी
कोशिश कामयाब
बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

कितना तो अच्छा गाया है आपने।

Creative Manch said...

अच्छा प्रयास है .
क्रिएटिव मंच आप को हमारे नए आयोजन
'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में भाग लेने के लिए
आमंत्रित करता है.
यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
आभार

उन्मुक्त said...

करोके के साथ गायन और भी निखरेगा।

शरद कोकास said...

बहुत बढ़िया ।

nilesh mathur said...

भगवान् करे रोज आपकी आँख फडके और ऐसा उल्टा पुल्टा हो, ताकी हमें आपकी आवाज़ सुनने को मिलती रहे!