आज मिलिए एक ऐसे ब्लॉगर से जिनकी पोस्ट की खासियत है उस पर आई हुई टिप्पणियाँ और उन टिप्पणियों पर दिये गए उनके जबाब.....टिप्पणियाँ न पढ़ी तो पोस्ट क्या पढ़ी.....................और साथ ही एक गीत जिसे बिना सुने कोई लौट नहीं पाता.......
ये अलग बात है कि हम विरोधी है एक- दूसरे के पर इनके साथ जून २०१० मे एक मुकदमा जीत चुकी हूँ मैं
ये अलग बात है कि हम विरोधी है एक- दूसरे के पर इनके साथ जून २०१० मे एक मुकदमा जीत चुकी हूँ मैं
9 comments:
जान लिया नाम और काम
मुबारक हो अर्चना जी !
आप हीरे ढूंढ लेती हैं :-))
संजय ( मो सम कौन... ) उन गुरु लोगों में से एक हैं जिनके कारण हिंदी ब्लॉग जगत में बने रहने का मन करता है !
ब्लॉग जगत के भाई लोगों( हम जैसे ) को संजय की तीखी और गहरी निगाह भली भांति पहचानती हैं.. :-)
सौम्य व्यक्तित्व के धनी संजय ने शुरुआत में अपने ब्लॉग का नाम "मो सम कौन" रखा था जो मुझे बड़ा अच्छा लगता था ! अपने शानदार दिल पर, यह एक सांकेतिक गर्व का अनुभव कराता था मगर कुटिलों के लिए इसका अर्थ घमंडी ही था .... :-(
शायद इन खट्टे मीठे अनुभवों का नाम ही जीवन है !
एक शानदार व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने के लिए आपका आभार !
इनकी पोस्टों के तो खैर क्या कहने....
पहली पोस्ट से ही मैं तो उनका कूलर हूँ जी
संजय जी की पोस्ट, आपकी आवाज में
हार्दिक आभार
प्रणाम स्वीकार करें
नियमित पढ़ते हैं और बच्चों को कम्प्यूटर भी सिखा रहे हैं।
वैसे ये गलत नहीं है कि उनके बारे में कुछ जानने लायक होगा तभी तो जानेंगे।
ये भी एक विनम्र कथन है, जो निर्णय हम पर छोड़ता है, और जानने वाले जान रहे हैं, खूब जान रहे हैं, सीख रहे हैं।
धन्यवाद जो आपने उनका लिखा हुआ कुछ पढ़ा, आपको सुनना एक अनुभव है, एक शानदार अनुभव। :)
सादर।
अर्चना जी, पहली बात ’नो थैंक्यू’
दूसरी बात मैं जरूर हारा हूँ लेकिन आप कोई मुकदमा नहीं जीती,
तीसरी बात, तारीफ़ उनकी होनी चाहिये थी जो मुझे झेलते हैं:))
@ सतीश भाईजी,
भाईजी, कितनी भी तारीफ़ कर लो, मैं छोड़ने वाला नहीं आपको:))
sANJAY JI KO JANNE KA MAUKA MILA...AAPKO DHANYAVAAD.
अर्चनाजी आपकी शानदार प्रस्तुति से संजय भाई को एक अलग रूप में जाना.संजय जो भी लिखते हैं दिल से लिखतें हैं जो दिल को छूता है. आज यदि आपके
ब्लॉग पर नहीं आता तो अफ़सोस रहता.इसके लिए केवल रामजी का बहुत बहुत आभार.
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