Tuesday, July 4, 2017

कुछ बातें समझने -समझाने की #हिन्दी_ब्लॉगिंग

ये कोई प्रवचन नहीं.. :-) माता-पिता से सीखी बातें हैं -

१)  सदा सच बोलो | 
सच बोलने से किसी से भी डर नहीं लगता | कोई भी बात एक ही बार बोलनी पड़ती है|हम किसी के साथ धोखा या गलत कर रहे हैं, इस हीन भावना से छुटकारा मिल जाता है, दिल पर जो बोझ सा होता है वो नहीं रहता,|हमारे प्रति अपनों का विश्वास बढ़ जाता है |
सत्य कि सदा विजय होती है|

२) विस्वासपात्र बनो|
विश्वास या भरोसा क्या है? जो एक बच्चे को अपनी माँ पर है, विश्वास ही अपनत्व की  जननी है ,विस्वास ही है जो हमें एक- दुूसरे से जोड़ता है, जीवन में विश्वास या भरोसा ही है जिसके दम पर दुनिया टिकी है , एक बार विश्वास टूट जाता है तो बहुत मुश्किल होती है दुबारा विश्वास पाने में |
विस्वास कि शक्ति से मिलता है - लक्ष्य |

३) समय के साथ चलो | 
समय लगातार चलते ही रहता है,हमारी एक गलती भी हो जाए यानि एक कदम भी गलत  पड़ जाए  तो हम समय से पीछे हो जाते हैं,अत: जरूरी है कि हर कार्य के लिए समय सीमा तय करें व फिर नियत समय पर कार्य पूर्ण करने की आदत डालें |
समयानुसार चलने से शायद हम समय के साथ चल पाएंगे |

४) मन को काबू में रखो | 
बहुत बार सुनते हैं कि मन को काबू में रखो ,मगर  मन क्या है? मन में हमारे अच्छे और बुरे किये गए कार्यों का  लेखा-जोखा रहता है| मैं यह मनाती हूँ कि कोई भी इंसान चाहे वो छोटा हो या बड़ा , नाबालिग हो या बालिग़ ,अच्छा हो या बुरा,सभ्य  हो या असभ्य ,उसका मन ही जानता है कि वह किसी के साथ अच्छा कर रहा है या बुरा , किसी को धोखा दे रहा है या उससे झूठ बोल रहा है , और ये जानने के लिए उसे किसी दुूसरे कि सलाह कि जरूरत नहीं पड़ती | 
अगर हम अपने अन्दर की आवाज को सुनने और उस पर अमल करने कोशिश करते हैं तो मन को काबू में किया जा सकता है |

५) आदत|
किसी अच्छे कार्य को तब तक करना चाहिए , जब तक कि हमें उसे करने की आदत न पड़ जाए, और किसी बुरे काम से तब तक बचना चाहिए या दूर रहना चाहिए ,जब तक कि उससे बचने या दूर रहने की आदत न पड़ जाए
जब हम पहली बार झूठ बोलते हैं तो बहुत मुश्किल होती है,दूसरी बार बोलना थोड़ा आसान हो जाता है और तीसरी बार और भी आसान ,इस तरह झूठ बोलने कि आदत पड़ जाती है |
 पहली बार की गई गलती को भूल माना जा सकता है , दूसरी बार में सजा का प्रावधान हो सकता है ,लेकिन तीसरी बार की गई गलती जान-बूझ कर की गई होती है और अक्षम्य होनी चाहिए |
एक बार अच्छी आदत डाल लें तो नियम बन जाता है |

६) अच्छा या बुरा 
अच्छा या बुरा क्या है? किसी भी कार्य को करने से यदि किसी अन्य को या स्वयं को हानि या नुकसान या दुःख पहुंचता है तो वह बुरा कार्य है, और इसके विपरीत सबको फ़ायदा या लाभ पहुंचाने वाला कार्य अच्छा कार्य है |

७) जिम्मेदारी 
जितने लोगों को हम अपना सनाझाते हैं,उनके प्रति कर्तव्यों का निर्वाहन जिम्मेदारी है |
सिर्फ परिवार तक ही न सीमित रहें , रिश्तेदारों , दोस्तों, पड़ोसियों, व समाज को भी धीरे-धीरे "अपनों" में शामिल करें|

 #हिन्दी_ब्लॉगिंग


   

8 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

जी नानी जी।

Archana Chaoji said...

खुश रहिए !😊

Satish Saxena said...

मन सर्वाधिक चलायमान है यह ही हर संकल्प में व्यवधान उत्पन्न करता है अगर इसे काबू कर लिया तो अन्य अवगुण हो ही नहीं सकते
हार्दिक मंगलकामनाएं !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

विनोद कुमार पांडेय said...

ये सारी बातें जीवन आदर्श जीवन के लिए बहुत उपयोगी है ,आभार इस पोस्ट के लिए

vandana gupta said...

उपयोगी बातें

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सार्थक बाते लिखी आपने.

रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

कैप्चा हटा लिजीये प्लीज.
सादर

दिगम्बर नासवा said...

सभी उपयोगी बातें बताई हैं आपने ... जीवन में काम आने वाली सीखने वाली ...

Smart Indian said...

सम-सामयिक परंतु कालजयी सलाह के लिये आभार!