न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Friday, April 29, 2011
Monday, April 25, 2011
लाल टेबल.....
आज अचानक पुराना सामान इधर-उधर करते समय एक बहुत पुराना फोटो हाथ आया...और ले गया मुझे अपने साथ उस कमरे में जहाँ वो रखा हुआ था.....
वत्सल और पल्लवी......(पापा के केमरे से..१९८९-९०)
कितनी अजीब बात है-जो बात भूलनी है वही याद रह जाती है......
निर्जीव और सजीव में कोई फ़र्क नहीं लगता...
अब मुझे लग रहा है वो टेबल सजीव हो गई है और मैं निर्जीव......
मैं खुद को रोक नही पाई.....और आ गई उस कमरे में जहाँ आज भी वो टेबल है ---लाल टेबल....
और अब वत्सल और पल्लवी---
बड़े हो गए है<............................
Wednesday, April 20, 2011
अंतर.......
जब भी माँ के घर जाती हूँ उससे मुलाकात होती है,रिश्ते में भाई लगता है मेरा...पास ही रहते हैं और उम्र में भी बराबर,साथ-साथ बड़े हुए..
हम तीन भाई दो बहनें ,वो चार बहनों का अकेला भाई..
लाड़-प्यार में कोई कमी नहीं दोनो के यहाँ....बहुत ज्यादा तो नहीं पर जो थोड़ा बहुत याद आता है वो उम्र रही होगी १३-१४ साल की...
तब की बात ही और होती थी...तब को-एड नहीं होता था..
प्राथमिक शाला में सब साथ -साथ पढ़ते फ़िर होती थी कन्या माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक शाला इसी तरह बालक माध्यमिक व बालक उच्चतर .....
और यहाँ तक कि अलग स्कूल में पढ़ने की तरह खेलने के मैदान भी अलग .....आधे यहाँ ,आधे वहाँ....अंतर शुरू....
मैं सिमट कर रही और वो...बिखर कर.....
मेरी पसन्द गुम होने लगी...उसकी पसन्द का खयाल रखा जाने लगा......मुझे समय पर घर आना होता था ....वो घर आकर भी बाहर जा सकता था......
मुझे खाना बनाना सिखाया जाने लगा .और उसे खाना खाना......
नतीजा ....वही मैने मन को संयम में रखकर सब सीखा ..और उसने मन भी खो दिया....संयम कहाँ रहता ...
अब कई साल बाद फ़िर मिली हूँ उससे....मेरी शादी के बाद सुना था उसकी भी शादी कर दी गई......
कहते हैं न मुसीबतें किसकों नहीं आती.......दोनों पर आई...
मैं लड़ती रही हमेशा उनसे और वो......सिगरेट और शराब में मुसीबतों को डुबाते रहा.....जिंदगी चलती रही मेरी भी और उसकी भी.......
अब वो बीमार है और उसकी माँ,पत्नि,बेटी उसकी देखभाल करती है.......
सोचती हूँ, मैं अगर बीमार हुई तो .....कोई नहीं होगा....
मै फ़िर अकेली.........
क्यूँ सोचती हूँ मैं................
हम तीन भाई दो बहनें ,वो चार बहनों का अकेला भाई..
लाड़-प्यार में कोई कमी नहीं दोनो के यहाँ....बहुत ज्यादा तो नहीं पर जो थोड़ा बहुत याद आता है वो उम्र रही होगी १३-१४ साल की...
तब की बात ही और होती थी...तब को-एड नहीं होता था..
प्राथमिक शाला में सब साथ -साथ पढ़ते फ़िर होती थी कन्या माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक शाला इसी तरह बालक माध्यमिक व बालक उच्चतर .....
और यहाँ तक कि अलग स्कूल में पढ़ने की तरह खेलने के मैदान भी अलग .....आधे यहाँ ,आधे वहाँ....अंतर शुरू....
मैं सिमट कर रही और वो...बिखर कर.....
मेरी पसन्द गुम होने लगी...उसकी पसन्द का खयाल रखा जाने लगा......मुझे समय पर घर आना होता था ....वो घर आकर भी बाहर जा सकता था......
मुझे खाना बनाना सिखाया जाने लगा .और उसे खाना खाना......
नतीजा ....वही मैने मन को संयम में रखकर सब सीखा ..और उसने मन भी खो दिया....संयम कहाँ रहता ...
अब कई साल बाद फ़िर मिली हूँ उससे....मेरी शादी के बाद सुना था उसकी भी शादी कर दी गई......
कहते हैं न मुसीबतें किसकों नहीं आती.......दोनों पर आई...
मैं लड़ती रही हमेशा उनसे और वो......सिगरेट और शराब में मुसीबतों को डुबाते रहा.....जिंदगी चलती रही मेरी भी और उसकी भी.......
अब वो बीमार है और उसकी माँ,पत्नि,बेटी उसकी देखभाल करती है.......
सोचती हूँ, मैं अगर बीमार हुई तो .....कोई नहीं होगा....
मै फ़िर अकेली.........
क्यूँ सोचती हूँ मैं................
Sunday, April 17, 2011
Saturday, April 16, 2011
Friday, April 15, 2011
नवरात्रि पर्व ७ - कमला दास की कविता
नवरात्रि पर्व के सातवें दिवस पर "शरद कोकास" नामक ब्लॉग पर प्रकाशित कविता----
अनुवादक- अशोक कुमार पाण्डेय
अनुवादक- अशोक कुमार पाण्डेय
Thursday, April 14, 2011
Wednesday, April 13, 2011
Tuesday, April 12, 2011
नवरात्रि पर्व ४- नीटू दास की कविता
नवरात्रि पर्व के चतुर्थ दिवस पर "शरद कोकास" नामक ब्लॉग पर प्रकाशित कविता----
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
Monday, April 11, 2011
नवरात्रि पर्व ३ - ममांग दाई की कविता
नवरात्रि पर्व के तॄतीय दिवस पर "शरद कोकास" नामक ब्लॉग पर प्रकाशित कविता----
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
Sunday, April 10, 2011
नवरात्रि पर्व २ - सुकॄता पॉल की कविता
नवरात्रि पर्व के द्वितीय दिवस पर "शरद कोकास" नामक ब्लॉग पर प्रकाशित कविता----
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
अनुवादक- सिद्धेश्वर सिंह जी
Thursday, April 7, 2011
Tuesday, April 5, 2011
नवरात्रि पर्व १ - रानी जयचन्द्रन की कविता
नवरात्रि पर्व के प्रथम दिवस पर "शरद कोकास" नामक ब्लॉग पर प्रकाशित कविता-----
अनुवादक--सिद्धेश्वर सिंह जी
अनुवादक--सिद्धेश्वर सिंह जी
Friday, April 1, 2011
कुछ जानने लायक होगा तभी तो जानोगे! !
आज मिलिए एक ऐसे ब्लॉगर से जिनकी पोस्ट की खासियत है उस पर आई हुई टिप्पणियाँ और उन टिप्पणियों पर दिये गए उनके जबाब.....टिप्पणियाँ न पढ़ी तो पोस्ट क्या पढ़ी.....................और साथ ही एक गीत जिसे बिना सुने कोई लौट नहीं पाता.......
ये अलग बात है कि हम विरोधी है एक- दूसरे के पर इनके साथ जून २०१० मे एक मुकदमा जीत चुकी हूँ मैं
ये अलग बात है कि हम विरोधी है एक- दूसरे के पर इनके साथ जून २०१० मे एक मुकदमा जीत चुकी हूँ मैं
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