Friday, September 10, 2010

देख अचरज..........दीपक "मशाल" की गज़ल.....

सुनिए-- गज़ल दीपक"मशाल" की......
 


दीपक"मशाल" की आवाज में यहाँ--मसि-कागद

एक कहानी भी --"दाग अच्छे हैं"

11 comments:

राजीव तनेजा said...

मधुर स्वर से सुसज्जित सुन्दर गज़ल

राज भाटिय़ा said...

वाह वाह मधुरम ओर सुंदरम

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत मधुर, सदैव की भाँति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अर्चना जी!
दीपक मशाल जी की सुन्दर गजल को
आपने अपने स्वर से धन्य कर दिया है!
--
गजलकार और गायिका
दोनों को बधाई !

समय चक्र said...

बढ़िया प्रस्तुति...
गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं...

RAJNISH PARIHAR said...

गजलकार और गायिका
दोनों को बधाई !

दीपक 'मशाल' said...

मासी आभारी हूँ इस नाचीज की ग़ज़ल को अपनी बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

शब्द और स्वर दोनों मान को छूने वाले हैं ।
आप दोनों को बधाई..... गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ।

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन आवाज़ में गाने के लिए.....
गजलकार और गायिका
दोनों को बधाई !

'साहिल' said...

ग़ज़ल भी अच्छी है और आवाज़ भी मधुर...........बहुत सुन्दर धुन है...........आपको बधाई..........

'साहिल' said...

ग़ज़ल भी अच्छी है और आवाज़ भी मधुर...........बहुत सुन्दर धुन है...........आपको बधाई..........