Sunday, May 22, 2011

किसी को पता है ?

किसी से सुना है एहसानों के बोझ तले दब जाता है आदमी,
पर पता नहीं एहसानों को उठाने कब जाता है आदमी..........

9 comments:

सुज्ञ said...

सार्थक सटीक है यह सच्चाई

vandana gupta said...

खूब कहा।

संजय कुमार चौरसिया said...

bahut badiya

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

:)

Satish Saxena said...

बहुत खूब ....
:-)

Smart Indian said...

@एहसानों को उठाने कब जाता है आदमी...
जब ज़रूरत का बोझ अहसान से ज़्यादा लगता है तब व्यापारी इंसान ऐहसान उठा लेता है, अक्सर यूँ होता है कि ज़रूरत पूरी होते ही अहसान बोझ लगने लगता है}

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह!

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरा।

Udan Tashtari said...

ये ब्ब्बात!!!!