Sunday, June 8, 2014

हिन्दयुग्म की श्रंखला ओल्ड इज़ गोल्ड ....

हिंदयुग्म के आवाज़ की आभारी हूं इस श्रंखला के लिए सुनिये  ओल्ड-इज़-गोल्ड के इन सदाबहार गीतों को प्रस्तुत कर रही हूं , आशा है पसन्द आयेगी श्रंखला ...  

रिकार्ड तो बहुत पहले किया था , आज संजोया और सहेजा है " मेरे मन की " पर... अन्तिम कड़ी का प्लेअर फ़िलहाल उपलब्ध नहीं है .... तो उसे फ़िर किसी दिन .... 

मैं बन की चिड़िया बन के.....ये गीत है उन दिनों का जब भारतीय रुपहले पर्दे पर प्रेम ने पहली करवट ली थी



 हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाये....और धीरे धीरे प्रेम में गुजारिशों का दौर शुरू हुआ 


भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना, जमाना खराब है दगा नहीं देना....कुछ यही कहना है हमें भी


दीवाना हुआ बादल, सावन की घटा छायी...जब स्वीट सिक्सटीस् में परवान चढा प्रेम  

4 comments:

Ankur Jain said...

शुक्रिया इन लिंक्स के लिये।।।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहुत मधुर गीतमाला है!!

Onkar said...

कर्णप्रिय गीत

Misra Raahul said...

बहुत सुंदर।