Saturday, April 8, 2017

सेल्फ़ी ,सेल्फ-ही ,सेल-फ्री

सेल्फ़ी
एक शब्द जो न जाने कहाँ से चलकर आया और एक छत्र राज्य करने की अभिलाषा पाले मोबाईल साम्राज्य पर कब्जा कर बैठा ,उसके आगे था मानंव साम्राज्य ,शुरआत में एकान्तवासी लोगों पर इसने आक्रमण किया ,लोग भौंचक से देखते और इसकी गिरफ़्त में आ जाते ,लोग भी इधर -उधर छिपे छिपे इससे हाथ मिलाने लगे जाने किस लालच म,ें फिर जैसे-जैसे मोबाईल साम्राज्य का विस्तार होते गया ये शब्द -समूह में मानव पर आक्रमण करने लगा ।
जब इसे लगने लगा कि जिस गति से लोगों और मोबाईल का साम्राज्य विस्तारित हो रहा है,उसे जीतने के लिए वो अकेला पड़ जाएगा इसने एक चाल चली हाथी की नहीं चीते की चाल और बाज़ की तरह झपट्टा मारकर 'पाऊट' नामक नए जन्मे शब्द को अपने कब्जे में ले लिया, अब इसे एक फायदा हुआ कि जो लोग इधर-उधर छिपे छिपे इसकी गिरफ्त में थे वे पाऊट से दोस्ती के बहाने सामने आने लगे और सेल्फ़ी की बन आई। पाऊट के चक्कर में ज्यादातर स्त्री जगत पर सेल्फ़ी ने कब्ज़ा कर लिया।और स्त्री जगत ने बालजगत और साथीजगत को भी साथ समेट लिया।P0LL
पाऊट ने नए नए और तकनीकी से लैस मोबाईलगणो से मानव  साम्राज्य पर सेल्फ़ी का कब्ज़ा जमवा दिया ,लोग एकांत छोड़ समूह में शिकार होने लगे ।ऐसे समूह में एक मुख्य बात नज़र आती या तो सेल्फ  या पाऊट ग्रसित लोग एक हाथ हवा में उठाये सबसे आगे रहते
इस तरह लोग खुद ही सेल्फ़ी शब्द को 'सेल्फ ही' की गलियों से निकाल सेल-फ्री' तक पहुँचाने का कारण बन गए।कइयों ने तो जान की बाजी भी लगा दी।
अब इस सेल्फ़ी शब्द ने मोबाईलगणों युक्त मानव साम्राज्य पर पूरा कब्ज़ा कर लिया था ,पर लालच आदमी से ही क्या क्या करवा लेता है ये तो बेचारा एक शब्द था एक युग पुरुष को भी धर दबोचा इसने और उसने सेल्फ़ी शब्द को डॉटर, सफाई,और ऐसे न जाने क्या क्या शब्द उपहार में दे दिए....
हम भी उसी युगपुरुष के अधीन हैं ,इसलिए व्यंग की जुगलबंदी लिख रहे हैं सेल्फ ही 'सेल्फ़ी' को बाजू में बिठाए☺

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