Monday, May 25, 2009

एक अपील---क्रिकेट के दीवानों से

इस क्रिकेट के दीवाने देश में इतना तो कर सकते है आप ,
खेल चाहे पाये देख तो सकते है आप,
सिर्फ़ एक गेंद की कीमत दें अगर नवीन को,
तो एक बेहतर अंपायर पा जायेंगे आप

Sunday, May 24, 2009

आओ हाथ बढ़ाए---मदद करे -- नवीन की ------

नवीन रावत ( M. P. Ed.) पिछले ११ वर्षों से कोलंबिया कोंवेंट स्कूल , इंदौर में स्पोर्ट्स टीचर के रूप में कार्यरत है | मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में माता -पिता व दोनो भाईयो के परिवार के साथ रहते है |नवीन शादीशुदा है व उनका एक पौने दो साल का बेटा सौम्य है |सन् २००८ में मध्यप्रदेश से एकमात्र ऐसे ट्रेनर है , जिसने बी.सी. सी. आई. द्वारा आयोजित की जाने वाली फिजिकल ट्रेनर (क्रिकेट ) की परीक्षा उत्तीर्ण की मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में उनकी नियुक्ति फिजिकल ट्रेनर के पद पर हुई , परन्तु एक महीने बाद ही सितम्बर २००८ में उन्हें पता चला की उनकी दोनों किडनिया काम नही कर रही है , तब से अब तक हर सप्ताह से बार डायलिसिस रहा है , नौकरी करने में फिलहाल अक्षम है , पिता रिटायर हो चुके है , दोनों भाई भी सामान्य कमाते है , डॉक्टर के अनुसार उनकी किडनी ट्रांसप्लांट करवाना ही पड़ेगा , बड़े भाई संजय रावत बहन वंदना वर्मा किडनी देने को तैयार है (जिसकी भी ज्यादा मैच करेगी उसकी लगाई जायेगी ) मगर - लाख रुपयों की जरुरत बताई गई हैं , पैसो की व्यवस्था होते ही ऑपरेशन किया जा सकेगा , ( नडियाद में करवाया जाना तय किया गया है ) ऑपरेशन के बाद भी बहुत खर्च आएगा (सभी को विदित है) फिलहाल स्कूल , सचिन फैन क्लब व अन्य स्त्रोतों से ७५००० रुपये जमा हुए है |
कृपया मदद के लिए हाथ बढ़ाए तथा ऐसी संस्थाओ की जानकारी भी दे जो नवीन की मदद कर सके |

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पुनश्च:---- नवीन की मदद के लिये  इस मेल पते पर संपर्क कर सकते है----
archanachaoji@gmail.com









Saturday, May 23, 2009

कहो कैसी रही ????? ( भई वाह ये भी खूब रही )!!!!!!!!

दो पोस्ट पहले एक पहेली पूछी थी , रजनीश जी ने तो बहाना बना दिया था , और वत्सल के दिमाग के नट-बोल्ट ही गिर गए थे |बाकी किसी ने कोशिश ही नही की |सोंचा थोड़ा आसान कर दू----थोड़े शब्द बतायेऔर थोड़े मंगवाए (सोने के भाव आए ) |(आसान होते ही) सबसे पहले समीर जी ही आए ,थोड़े से शब्द उड़नतश्तरी पर लाये (वजन बढ़ जाने के डर से शायद ) पूछा ---चलेगा ??? मेरे बोलने से पहले ही द्विवेदीजी नेतो बस चलेगा क्या उडेगा !!! कहा और टाल दिया ( सोचा होगा झगडा बढ़ने से पहले ही निबटा दू तो अच्छा होगा ),फ़िर एक भारतीय आए थोड़े नए शब्द ले आए जो थे थोड़े भारी और हट के , और लोगो का रास्ता देख ही रही थी की पहली बार अविनाश वाचस्पति शब्द देने मेरे घर आए उनको पहले वालो के कुछ भाए ,कुछ नही भाए ,उन्होंने मुझसे सारे शब्दों में से चुनवाए ----( विनय शायद पहेली से ज्यादा इनके शब्दों से ही चकराए ) ------मुझको हल करवानी थी पहेली पर वो कुछ और ही सोच के आए बोले---- मै कहानी लेके आता हूँ----या आप कविता बनाये| ( फ़िर हम सब मिलकर खाए,खिलाए ) सुझाव मुझे पसंद आया ,ये भी ठीक रहेगा ( सब्जिया वैसे भी मंहगी है ) , मस्त आइडिया है ----लोगो से शब्द बुलवाए ,थोड़े हिलाए -डुलाए , मसाला लगाए कुछ ऐसी कुछ वैसी (बे -सिर- पैर की) पोस्ट टिपियाए !!!!! | ( , (भला हो ऐसी टिप्पणियों का जिनसे नए विचार आए )|


एक था बचपन

एक था बचपन --------
आजकल
स्कूलों की छुट्टियाँ चल रही है |आजू -बाजू के घरों में बच्चे दिन भर कैद कर दिए गए हैं |सबके भैया -दीदीयों के कॉलेज चालू है |सबकी माताजी परेशान है कि बच्चे दिन भर छोटे -से घर को सर पर उठा लेते हैं|पिताजी परेशानी से बचने के लिए बच्चों को किसी क्लास में डाल देने कि सलाह देते पाये जाते हैं,क्योंकि अब किसी घर में सर खपाने के लिए दादा -दादी नहीं पाये जाते है |बेचारे बच्चे करें तो क्या करें , सबकी कचकच से बचने के लिए सुबह देर से उठते हैं |किसी तरह नहाना ,खाना निबटाते हैं, टी वी या कम्प्यूटर से चिपक जाते हैं----अपने समय से तुलना करती हूँ तो बहुत कुछ याद आता है -------(शायद आपको भी अपना कोई खेल याद जाए )---------

"खो गया वो "बचपन" ,
जिसमें था "सचपन" ,
गुम हो गई "गलियां" ,
गुम हो गए "आंगन " ,
अब न वो "पाँचे" ,
ना ही वो "कंचे" ,
न रही वो "पाली" ,
ना "डंडा -गिल्ली" ,
न वो "घर-घर का खेल" ,
न शर्ट को पकड़कर बनती "रेल" ,
अब मुन्नी न पहनती --वो "माँ की साड़ी" ,
ना मुन्नू दौडाता--"धागे की खाली रील की गाडी" ,
खो गए कही वो "छोटे -छोटे बर्तन खाली" ,
जिसमे झूठ - मूठ का खाना पकाती थी --मुन्नी ,लल्ली ,
थोडी देर के लिए पापा -मम्मी बन जाते थे रामू और डॉली ,
अब न आँगन में "फूलो की क्यारी" ,
उदास -सी बैठी है गुडिया प्यारी ,
खो गई अब वो गुडिया की सहेली "संझा",
और भाई का वो "पतंग और मांझा" ,
ना दिखती कही साईकिल पर "सब्जी की थैली" ,(सुबह )
सडssssप की आवाज वो "चाय की प्याली" , (शाम )
"छुपा-छुपी" का वो खेल खो गया ,
खेलने का समय भी देखो--- अब कम हो गया !!!!!!








Thursday, May 21, 2009

अबूझ पहेली ---------आसान हल !!!!!!!!!!!!!!!

मेरी पिछली पोस्ट पर कुल दो टिप्पणिया मिली |पोस्ट ही ऐसी थी |मुझे पता था कोई भी पढेगा तो घूम जाएगा शायद शीर्षक देखकर ही चकरा गया |चलो अब थोड़ा आसान कर देती हू |-----
पहले जो शब्द मै
लिख रही हू उनको ध्यान से पढ़ कर दिमाग में बैठा लीजिये | शुरू करू ?------
ये रही लिस्ट ------
जन्म ,म्रत्यु , पुनर्जन्म , खाना , शराब , नेता ,चोरी , रिश्वत , पुलिस , बयान , ख़बर ,
चेनल , पैसा , मैडम , राहुल-------- (अब इन जैसे कई शब्दों की लिस्ट हो सकती है कुछ आपकी तरफ़ से भी) ------हो जाए----
ये क्रम में नही जमे है जहां मर्जी हो पढें ( मतलब --क्या ,कौन ,कैसे ,किससे , कहां )-----------समझे ???????? --- हा हा हा --------!!!!!!!!!!!!!!!

Tuesday, May 19, 2009

अबूझ पहेली----------बूझो तो जानूं

आज मैं कुछ लिखना चाहती हूँ , पर हाथ नहीं चल रहे,
आज मै कुछ दूर चलना चाह्ती हूँ पर , पाँव नहीं उठ रहे ,
आज मैं कुछ कहना चाह्ती हूँ पर ,होंठ नहीं खुल रहे ,
थक चुकी हूँ कहते -सुनते---" जो होता है अच्छे के लिए होता है ",
पर--- वो होता ही क्यों है ? , जो अच्छा नहीं होता ! ,------

कोई लिखता है , कोई पढता है , कोई खाता है , कोई पीता है ,
कोई आता है , कोई जाता है , कोई जीता है ,कोई मरता है ,
कोई हँसता है , कोई रोता है , कोई गाता है ,कोई बजाता है ,
कोई खोता है , कोई पाता है , कोई जागता है, कोई सोता है ,
कोई उठता है , कोई बैठता है, कोई कहता है , कोई सुनता है ,
कोई देखता है , कोई बोलता है , कोई समझता है , कोई बूझता है ,----
----------------??????
???????????????????????????
???????????????????????????????????
----उफ़फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ,
अजीब पहेली है ये दिमाग को घुमा के रख दिया क्या आप बतायेंगे ???-----

" जो जीता है --- वो खाता है --- जो खाता है --- वो पीता है --- जो पीता है --- वो मरता है --- यानि कि जो जीता है --- वो मरता है --- अब जो मरता है --- वो जाता है --- जो जाता है --- वो आता है --- जो आता है --- वो पाता है --- जो पाता है --- वो खोता है --- जो खोता है --- वो रोता है --- यानि कि जो मरता है --- वो रोता है --- अब जो रोता है --- वो हँसता है --- जो हँसता है --- वो गाता है --- जो गाता है --- वो बजाता है --- जो बजाता है --- वो सुनता है --- जो सुनता है --- वो बोलता है --- यानि कि जो रोता है --- वो बोलता है ---- अब जो बोलता है --- वो खोलता है --- जो खोलता है--- वो ढोलता है --- जो ढोलता है --- वो रखता है --- यानि कि जो बोलता है --- वों रखता है --- जो रखता है --- वो देता है --- जो देता है --- वो लेता है --- जो लेता है --- वो बाँटता है --- जो बाँटता है --- वो पाता है--- यानि कि जो रखता है --- वो पाता है --- जो पाता है --- वो दिखता है --- जो देखता है --- वो लिखता है --- जो लिखता है --- वो फ़ंसता है --- जो फ़ंसता है --- वो देता है --- यानि कि जो पाता है वो देता है --- अब जो देता है --- वो बचता है --- जो बचता है --- वो बोलता है --- जो बोलता है --- वो छपता है --- जो छपता है --- वो छन जाता है --- जो छन जाता है --- वो दिखता है --- जो दिखता है --- वो बदल जाता है --- यानि कि जो बचता है --- वो बदल जाता है --- अब जो बदल जाता है --- वो संभल जाता है --- जो संभल जाता है --- वो चलता है --- जो चलता है --- वो थकता है --- जो थकता है --- वो रुकता है --- जो रुकता है --- वो झुकता है --- जो झुकता है --- वो मानता है --- जो मानता है --- वो जानता है --- जो जानता है --- वो ज्ञाता है --- जो
ज्ञाता है --- वो त्राता है --- यानि कि जो बदल जाता है --- वो त्राता है --- अब जो त्राता है --- वो माता है --- जो माता है --- तो भ्राता है--------------शायद इसीलिए --- ऐसे ही ये सब होता रहता है !!!!!!!!!!!!!!!!!!! --- ---------- जो---------------!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


Sunday, May 17, 2009

मौत का मंजर

जेड गुडी की होने वाली मौत एक खबर बन गई थी । बहुत त्रासदायक होता है एक मरते इन्सान की रोजमर्रा हालत को देखना । शुक्रगुजार हूँ कि मै भारत मे पैदा हुई हूँ , जहाँ हम किसी की मौत को तमाशा नहीं बनाते वरना दिन-रात जूझते हैं कि किसी भी इन्सान को अन्तिम साँस लेने के पहले तक किस प्रकार से बचाया जाए ----
(इस कविता के बारे मे अभी कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हूँ बस पढ लिजीये । )------------


मैने मौत को अपनी आँखों से देखा है ----
मैने बहुत बार बुलाया ,
पर वो नहीं आई ,
दूर से मुझे डराती रही ,
और डराकर इतराती रही ,
मुझे डरा देख तडपाती रही ,
मै भी डरी , तडपी , पर मरी नहीं ,
फ़िर एक दिन उसने मुझे धोखा दिया ,
मुझे डराया , मुझे तडपाया ,
और " तुम्हें " ले गई ।
उस दिन मैनें मौत को देखा था ।
फ़िर कई साल गुजर गए ,
उसने फ़िर दस्तक दी ,
मैं अब भी डरी ,
अब भी सहमीं ,
मरी नहीं ।
इस बार मैने मौत को ,
अपने घर में झाँककर जाते देखा है ।

Friday, May 15, 2009

रिश्तो में दरार---एक कडवा सच !!!

अतुल को उदास देखकर सहज ही पूछा था क्या हुआ ?
----- कुछ नहीं , यूँ ही , कहकर उसने टाला था ।
-----फ़िर भी ?--- उदास लग रहे हो ?
 ----- नहीं तो, क्या करूँगा उदास होकर ?
------ क्या घर की याद आ रही है ?
------नहीँ , क्या करेंगे याद करके ?
------अरे , ये भी कोई बात हुई ? घर की याद तो आती ही है ।
----- कैसा घर ?, किसका घर ?
-----क्यूँ ? मैने पूछा।
------- केजी टू से तो यहीं हूँ , अब यही मेरा घर है ।
----- फ़िर भी घर पर कौन -कौन है ?
------- सब हैं
----- फ़ोन कर लिया करो ।
------ क्या करेंगे फ़ोन करके ?
-----पूछ लिया करो सब कैसे हैं ?
-----क्या पूछेंगे ? हमेशा रटारटाया जबाब होता है---सब अच्छे हैं ,और जब हमसे पूछेंगे तो हम भी वही कहेंगे---अच्छे हैं ।
----- अरे , तो कौन -कौन हैं घर में, सबका नाम लेकर पूछ्ना --- वो क्या कर रहे हैं ?
--------- सब हैं--- मम्मी-पापा, दीदी , दादा- दादी , अंकल - आंटी , सबके बारे में पता है- दो लोग टी वी देख रहे होंगे ,तीन खाना खा रहे होंगे और दो बतिया रहे होंगे इस समय , यही उनका रूटीन है

------मैं अवाक थी , १० वीं में पढने वाले बच्चे अतुल का ऐसा व्यवहार अपनों के प्रति देखकर, फ़िर भी पूछा---छुट्टियों में घर जाओगे ?
-----हाँ , जायेंगे---अनमने मन से जबाब दिया
-----क्या करते हो वहाँ अपने गाँव में जाकर ?
-----कुछ नहीं , मैं तो घर से ही नही निकलता , अगर अपने गाँव में घूमने भी निकलूँ तो गलियों में ही गुम जाऊँगा ,वापस घर तक भी नही पहुँच पाऊँगा ।
----- अरे ,ऐसा क्यों ?-----क्या तुम्हारा गाँव बहुत बडा है ?
-----नहीं बरसों से बाहर हूँ , अपने ही गाँव में अनजान हूँ , वहाँ कोई मुझे नही पहचानता , जब जाता हूँ तो सब ऐसे देखते हैं---जैसे जंगल से कोई जानवर घुस आया हो ।
-----ऐसा नही कहते बेटा ।( मैनें समझाते हुए कहा )
-----ऐसा ही है ,वो तो हमारी किराना दुकान है, तो मैं वहीं बैठा रहता हूँ दिनभर लोग आते -जाते रहते हैं , तो थोडा मन लगा रहता है ।
-----अच्छा बताओ , आप के लिए सब खुश तो होते होंगे कि ये शहर में पढता है ।
------हें हें हें----क्या खुश होते होंगे (हँस पडा अतुल)-----पडोसी को ही मैं और मुझे पडोसी नहीं जानता ।
-----चलो छोडो , ये बताओ ---आपके वहाँ से कौनसा शहर पास पडता है ?
----- इलाहाबाद ।
-----वाह ,तो वहाँ के बहुत से बच्चे इलाहाबाद में भी पढते होंगे ?
-----हाँ ।
-----जब आप जाते हैं तो वे भी मिलते होंगे ? तब आपस में एक- दूसरी जगहों के बारे में तो बातें होती होंगी ?
-----हाँ , आते तो वे भी हैं मगर हमारी छुट्टियों का समय अलग-अलग होने से आपस में मिल नहीं पाते हैं और वैसे भी एक-दूसरे को जानते कहाँ है ? जो पूछें ?
-----तो आप इतनी दूर यहाँ क्यों आये पढने ?, अपने पास के शहर क्यों नहीं गये ?
-----पता नहीं ,बस पापा ने यहाँ भेज दिया --- कहते हैं पास में तो रखना ही नहीं है, ठीक है ---मैने भी सोच लिया--- अब वो चाहेंगे तो भी मैं पास में कभी नही रहूँगा ।--- जॊब भी दूर ही ढूंढूगा ।-------

---------मैं चुप , निरुत्तर हो गई , ऐसा कडवा सच जानकर जिसे झुठ्लाया नही जा सकता ।

Wednesday, May 6, 2009

भेंट

विवाह के मौसम मे वर-वधू के लिए शुभकामनाएँ----------

--- आपके जीवन में सदैव उमंग हों,
खुशहाली के ही चारों तरफ़ रंग हों,
पवन सदैव मंद-मंद ही बहे,
और आप दोनों हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते रहें।

--- पंछियों ने फ़िर से है मधुर गान गाया,
फ़ूलों ने फ़िर से है रंग बरसाया,
ये पंछी हमेशा चहकते रहें,
और आप दोनो हमेशा ऐसे ही महकते रहें।

--- जीवन की बगीया में फ़ूल ही फ़ूल खिले,
कांटों को कहीं भी जगह ही ना मिले,
और तो और खिले हुए फ़ूल कभी ना सूखे,ना झडे, ना टूट के बखरे,
और आप उन्हीं कि तरह खिले-खिले से रहे।

--- अभी सासों में गरमी हाथ नम होंगे,
उठते होंगे जजबात शब्द भी कम होंगे,
सूझता ही नहीं होगा कि क्या और कैसे कहें,
बस यूँ ही चुप-चुप से एक -दूसरे को निहारते रहें।

--- आप दोनों ने खुद को ही नहीं दो परिवारों को जोडा है,
एक -दूजे को जितना जाना है-- थोडा है।
मगर जो सम्बन्ध अभी बने है,हमेशा प्रगाढ ही रहें,
और आप के साथ सब यूँ ही मुस्कराते रहें।

--- दोनों जब एक-दूसरे के जीवन में जाओगे,
सब कुछ बदला एकदम नया पाओगे,
पर एक-दूसरे पर विश्वास हमेशा बना रहे,
और आप इसी विश्वास की मिसाल रहें।

कुछ विशेष----

-
उम्र में छोटों की ओर से---

---------- हाथों में थामा है हाथ ,मिला जीवन भर का साथ,
हम आपसे छोटे और आपसे क्या कहे,
बस आप दोनों यूँ ही मुस्कुराते रहें।

शादी की वर्षगाँठ मनाने वालों के लिए-------

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रही ना अब वो छरहरी काया, फ़िर भी आप का ये रूप हमें बहुत भाया,
जिस दिन बनती है छाया-- प्रतिछाया,वह शुभ दिन आज फ़िर से है आया,
आपके आशीष सब पर बरसते रहें,और आप हमेशा ही स्व्स्थ मस्त रहें,
हम चाहते है बस आप यूँ ही मुस्कुराते रहें।