पिछले दिनों मै अपनी बेटी रानू के साथ छुट्टियाँ बिताने नासिक गई थी -"रचना" और "निशी" के पास ।दिन भर हम " चंगदूरी "या "अष्ट,चंग,पे " (एक तरह का घरेलू खेल- कौडियों से खेला जानेवाला) और पत्ते खेल-खेल कर बोर हो गये ------- तो बनी कहानी बैठे ठाले---
एक दिन निशी, जो मेरे आस पास ही घूम रही थी, ने धीरे से मेरे कान में कहा----मौसी!!!मैने और रानू दीदी ने कुछ सोचा है मगर किससे कहूँ मेरे मन की???----मैंने कहा ---बोल देनी चाहिए अपने दिल की बात ----वो मौसी ऐसा करते हैं ---- एक शाम मेरे नाम पार्टी रख लेते है---- कुछ मित्रो को बुला लेंगे बढिया खाना वाना करेंगे,गीतों की महफ़िल भी सजा लेंगे ------आईडिया बढिया लगा और मैने जोडा पास के लोगों को तो आवाज देकर ही बुलवा लेगें मगर जो दूर हैं उनका क्या ?------मुन्ना सुन रहा था खुश होकर बोला------सुबीर संवाद सेवा से खबर भिजवा देंगे !!!!-----हाँ ये बढिया रहेगा-----बोली ही थी कि रचना की आवाज आई------मुझे भी कुछ कहना है------
क्या ???-------
-----मुन्ने के बापू को बुलवाना है???------
-----वो आयेंगे ???
----हाँ शायद!!!!
-----अरे वे तो उन्मुक्त जीवन जीते हैं, कुछ दिनों पहले तो अफ़्रिका गये हुए थे ,अभी शायद केरल में होंगे, आ गए क्या?? ।
----तो क्या हुआ ? ,समीर जी को भेज देंगे----वो उडनतश्तरी पर ले आएंगे ।
--- उनके(समीर जी) पास लाईसेंस है???? , नही तो अदालत के चक्कर लगाने पडेंगे!!!!
----हाँ है , उन्होंने तो अनवरत चलने का बनवा रखा है ।
-----तब ठीक है ,फ़िर तो तुम अनूप जी को भी बुलवा लो---वो फ़ुरसतिया हैं कभी भी चले आयेंगे ,और हाँ ओम आर्य को भी बुला लेंगे----बेचारे मौन के खाली घर में पडे रह्ते हैं-------
निशी----ये सब तो ठीक है मगर खाना क्या बनाओगे??????
सबसे पहले तो अजीत जी को बोल देंगे कि इस बार जब वो शब्दों के सफ़र पर जाएं तो अविनाश जी की बगीची से कुछ बढिया सब्जी लेते आयेंगे ---- दाल रोटी चावल भी बना लेंगे ----
रचना----दाल -चावल जल्दी मंगवाना पडेंगे-----एक नजर देखना भी पडेगा!!!!
हाँ!!!!और मीठा??? रानू की आवाज आई--- मुझे शिकायत है सबसे सब जब भी इकठ्ठे होते हो तो सिर्फ़ खानेके बारे मे ही सोचते हो कहीं घुमने का भी प्रोग्राम बनाया करो कभी!!!!
अरे !!! गये तो थे थोडे दिन पहले त्र्यम्बकेश्वर के पहाड पर गुप्तगंगा तक!!!!निरंतर कितना चढना पडा था!!!!
प्लान बनाते-बनाते कब शाम हो गई पता ही नही चला-----दीपक जी ओफ़िस से आ चुके थे-----बोले क्या प्लानिंग हुई???
-----सब कुछ बताया---- बोले कहीं बाहर चलते हैं-----यहाँ आजू-बाजू के लोग मोहल्ला सर पे उठा लेंगे और अपनी भडास निकालेंगे-----शास्त्री जी को बुलाना पडेगा----सारथी की भूमिका निभाने के लिये!!!!!!!!!!!!!! ---
19 comments:
बहुत अच्छा.. बहुत समेट लिया..
वाह जी सही कह रही हैं।
bahut achchha laga.......
@ रंजन धन्यवाद,अगली बार आप भी आ जाना!!!!!
@ विनय जी शुक्रिया!!!वैसे हम हमेशा सही ही कहते हैं!!!!!
@ ओम जी ,आपसे माफ़ी चाहती हूँ,आपके लिए लाईन पहले ही लिखी थी---पता नहीं कैसे टाईप करते समय छूट गई,जब आपकी टिप्पणी पढी तो ध्यान गया !!! क्षमा करेंगे। धन्यवाद ।
जोड़ जोड़ कर पूरा ब्लॉग कुनबा एकत्रित कर लिया. उड़न तश्तरी में तो लिमिटेड जगह है. आधे में हम बैठते हैं चलाने के लिए. जित्ती सवारी आ पायेगी, ले आयेंगे. फुरसतिया जी तो साईकिल से आ जायेंगे, बहुत रियाज है उनको साईकिल यात्रा का. :)
मस्त रहा यह जोड़ तोड़ का कारनामा!!
समीर जी आपको सिर्फ़ हमें पहले ही पता था,मुश्किल से दो लोग ही समा पायेंगे उडन्तश्तरी में, आपको तो सिर्फ़ उन्मुक्त जी को ही लाने का कहा था!!!!!!!!!!!
बढ़िया महफ़िल जमाई है। शानदार!
अरे हम तो केरल से भी आ गये।
बाहर खाना हुआ कि घर में ही बनाना पड़ा।
चिट्ठालेखन में यह एक नया प्रयोग है. प्रयोग सफल रहा और मेरी बधाई स्वीकार करें!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
अरे यह पोस्ट का फ़ीड तो हमारे यहा आ ही नही रहा, बस थोडा समय मिला तो अचानक आप की यह सुंदर पोस्ट दिख गई, आप अपना फ़ीड जरुर चेक करे, या फ़िर ताऊ जी से सलाह ले, इतनी अच्छी पोस्ट कई लोगो से छुट गई होगी.
वाह आप ने तो कमा कर दिया, बडी मेहनत से लिखा, हम बचपन मे इसी प्रकार गेम खेला करते थे, लेकिन आप ने तो कमाल कर दिखाया,
धन्यवाद, ओर देरी से आया क्षमा चाहूगां
अरे वाह !! क्या महफ़िल सजायी आपने .. बहुत खूब
छूट तो हमसे भी गयी थी यह कहानी बैठे ठाले । सच में नहीं मिल रही फ़ीड ।
आभार ।
वाह, बहुत बढ़िया लिंकित लेख।
हमें मालूम ही नहीं था कि आप भी अदालत के चक्कर लगाते हैं :-)
बहुत ही बढिया....मज़ेदार
Is terah yaad karne ka aabhaar !
क्या बात है वाह
bahut achchha laga.......
बहुत अच्छी जोड़ तोड़ की है !
fir se???
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