Sunday, June 8, 2014

पर्यावरण और हम ...






















इश्क करो हरियाली से 

जंगल की खुशहाली से

पंछी- पशु ,उड़े -फ़िरे

बुझे प्यास नदी तीरे

भरके स्नेह बाल्टी 

बहे सुगंध मालती 

वो प्यार से उचारती

     वसुन्धरा पुकारती ....

1 comment:

SKT said...

Hare man bhare najare..