Friday, October 30, 2015

मानो या न मानो ,पर ये सच है ,कसम से..

आपको विश्वास हो या न हो पर ये बिलकुल सच है ....ईश्वर से सच्चे मन से मांगो तो मुराद पूरी होती है ,जब तक उसके हाथ में है.....(मुझे लगता है ,कई बार उसके हाथ में भी नाही रहता कुछ )
.कई बार मुझे महसूस हुआ है की वो मेरी सुनता है .....पिछली बार कब सुना था ये फिर कभी बताउंगी पर आज बिलकुल आज की ही बात बताती हूँ.....

मेरा टैब रश्मिप्रभा दी के यहाँ ( 26 अक्तूबर को) उन्हें मायरा के वीडियो दिखाने के बाद बंद पड़ गया ,,बहुत से फोटो वीडियो ,ऑडियो सब उसमें बंद हो कर आराम फरमा रहे थे ..... मैं  लाचार ....एक दिन बहुत कोशिश की , न ,नहीं हुआ कुछ
अगले दिन चारजिंग पर लगा कर छोड़ दिया .... ... शाम वत्सल ने भी चेक कर देखा ....न ....कुछ नहीं ॥:-(

तीसरे दिन वत्सल ने ऑफर दिया - अब नया ले लो इसे हटाकर ..... सब एक में हो जाएगा ... मगर फोन अलग ही रहने दो तो आपको अच्छा रहेगा ..... सारे सेल वाले डील के लिए बाज़ार (साइट) तलाश करके पसंद भी किए सिलेक्ट भी कर लिया ...बस फाईनल ओके ही करना था ...पर आपण ठहरे वही किफ़ायती काम करने वाले .... मन में आया ---नहीं यार बहुत पैसे फालतू खर्च हो जाते हैं ..... चल जाएगा काम ....चल ही रहा है ...... कुछ और काम खोज लूँगी ..... फिर कुछ दिन रूक कर ले लेंगे .....
इस पर पोस्ट भी लिख दी... 



आज हो गई थी 29 अक्तूबर
मैं सुबह  पूजा करने बैठी तो पास ही चार्ज हो रहे टैब पर नज़र पड़ी..... दिल ने कहा- क्या यार -तुझे हुआ क्या है ? , कुछ पता चले तो इलाज हो ..... और सच्चे दिल से भगवान से कहा -इसे ठीक कर दो प्लीज ..... और एक बार ऑन करने के लिए बटन दबाया ====
ये क्या ! चमत्कार ..... चालू हो गया,स्क्रीन पर  lenova चमकने लगा ..... आंखे खुली रह गई ॥एक बार भगवान को देख रही थी ,एक बार टैब को .... ...
पहले पूजा की और फिर  ये फोटो उसी से ली  नई ब्लॉग पोस्ट लिखने को ...  ....

विश्वास और गहरा हुआ -ईश्वर है ,और वो सबके मन की सुनता है ....सुन ली -मेरे मन की 

Thursday, October 29, 2015

जन्मदिन

अब ले दे कर जो भी मौका मिलता है खुशियों को भूनने का तो भुना लेते हैं ---- माँ और बेटा ,कुल मिलाकर दो जने ...
लेकिन 
घर भर दिया 
और घर के साथ-साथ 
आप सबको भी शामिल कर लिया ....





....


इतने स्नेह और प्यार के लिए धन्यवाद !

चुहलबाजी

पहले मेरे पास नोकिया था छोटे स्क्रीन वाला .... व्हाट्सएप की जरूरत नही थी ...ब्लॉग और फेसबुक ,यूट्यूब सब ...घर पर डेस्कटॉप पर वापर लेती थी ...

इस बीच टैब भी ले लिया .....अब सब कुछ गतिमान हो गया था मगर मैंने बड़े आकार का होने के कारण फोन का इस्तेमाल न होने वाला लिया था .

फिर फोन में गड़बड़ी होनी शुरू हुई कभी  मुझे और कभी सामने वाले को सुनाई नहीं देता था .... सबसे ज्यादा मुश्किल तब आती थी जब माँ किसी से बात कह और सुन नहीं पाती थी उससे :-(

फिर बेटी ने उसका एक फोन दिया (उसके नया लेने पर बेकार पड़ा था :-)

... एक दिन व्हाट्सएप.... अपडेट की प्राबलम के कारण गायब हो गया टैब से ....अब टैब पर ब्लॉग ,मेल ,और फेसबुक चल रहे थे ...व्हाट्सएप्प पल्लवी वाले फोन में


उस पर फेसबुक छोड़ सब चल रहा था ...मगर ,,,, गांधीनगर में बिना वजह फोन और टैब दोनों बंद पड़ गए ........बंगलौर अकेले वापस आना था तो रचना से  एक नोकिया पुराना बच्चा उधार लिया ....अभी भी फोन उस पर सुनती हूँ ...

बंगलौर आने पर पल्लवी वाला फोन और टैब दोनों अपने आप स्वस्थ हो गए :-)

आश्चर्य तो मुझे भी हुआ ..पर अच्छा लगा बहुत ... :-)

पर लेपटॉप उपलब्ध  था तो टैब को आराम दिया हुआ था .....सिर्फ बाहर जाने में काम आता था .....
अब रश्मिप्रभा  दी को उनके यहाँ मायरा के वीडियो भी उसी पर दिखाए ....मगर  थक गया वो गया कोमा में ...... आज तीसरा दिन है ....

तो इस रामायण का सार ये की अब कुछ नया लेना है खुद के लिए ......
 बच्चों ने भी पुराना देने से साफ मना कर दिया है ...... :-) मुझे लगता है ...इतना भी जरूरी नहीं.....
फोन एक में
व्हाट्सएप एक में
और फेसबुक
ब्लॉग एक में ...... चल ही रहा है ...... :-)
आप क्या सजेस्ट करेंगे ..... दिवाली उपहार मेरे लिए ...
ध्यान रहे सबसे ज्यादा पॉडकास्ट का काम होना चाहिए ....

शुभ दिन !

Wednesday, October 28, 2015

.बैंगलोर आबाद हुआ .

मैं इतने अच्छे से व्यक्त नहीं कर सकती ,रश्मिप्रभा दी ( Rashmi Prabha...).. हाँ,लेकिन आठ घंटों की मेराथन मुलाक़ात यादगार रही ..... इतने दिनों से बंद झरने फूट पड़े इसमें ..... कितने गोते लगाए ये बताया नहीं जा सकता ..... और हाँ ...आईसक्रीम तो दिखाई दे रही है पर ...चाय तो एक-दो-तीन........ और नाश्ता खाना सब फ्री !!! सबको भी याद किया ....
Rashmi Prabha added 3 new photos.
वर्षों का अनदेखा,
तस्वीरों से जुड़ा रिश्ता
अनौपचारिक हो जाता है,
यह रूबरू मिलने के बाद ज्ञात होता है !
ज्ञात होता है -
हमने जो अपनी सोच के चादर बुने थे
वे अनमोल हुए या नहीं …
ऐसी ही एक आभासी दुनिया से उतरी आवाज़
वत्सल,पल्लवी की माँ
प्यारी सी मायरा की नानी
अद्भुत हौसलों की मिसाल
शालीनता के परिधान में
गजगामिनी सी अर्चना मुझे मिली
....
अतीत सुस्वप्न हो या दुःस्वप्न
जब गुजर जाता है
तो एक कहानी बनकर रह जाता है
हम अचंभित होकर सुनते हैं
पर दरअसल कुछ ही समय के लिए
उस बीच के काल से
हम अपना तारतम्य जोड़ लें
तो बहुत कुछ सीखने-समझने के लिए मिलता है

जिसकी कथा औरों ने कही
और जिसने अपनी कथा स्वयं कही
बहुत फर्क होता है
जिसे चाहकर भी हम सारांश नहीं बना सकते
!!!
हाँ सारांश होते हैं उसके बच्चे
उसके आभासी से भाषित होते रिश्ते
और चेहरे पर उग आये सुकून के विराम चिन्ह !
....
कल की मुलाकात का एक सारांश smile emoticon - अर्चना चावजी
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Comments
Vandana Gupta आहा smile emoticon
Mridula Pradhan आप दोनों की खिलखिलाहट यहाँ तक सुनायी पड़ रही है..एकदम निष्कलुष..
अर्चना चावजी सच में ...खूब हँसे साथ हम
Pallavi Saxena Arey waah... beautiful pics....like emoticon
Kajal Kumar अच्‍छा
Udan Tashtari बधाई
Rekha Srivastava बहुत अच्छे ।
सलिल वर्मा लीजिये दीदी! बस मुझसे ही मुलाक़ात बाकी है!
Anupama Agrawal Goyal What a beautiful, heart touching, insightful poem! Such happy faces!
गिरिजा कुलश्रेष्ठ वाह ..बैंगलोर आबाद हुआ . बधाई . काश मैं भी वहाँ होती .
UnlikeReply222 hrs