मुझे आज भी याद है
वो शाम
जब लिखा था तुमने मेरा नाम
अपनी डायरी में
तुम्हारे नाम के पीछे
और मैं लड़ी थी तुमसे
आगे लिखने के लिए
तुमने कहा था-
मैं सूरज हूं
जिन्दगी में राह बनाता चलूंगा
इसलिए आगे मैं रहूंगा
तुम हो चाँदनी
जिसमें रहती हैं आँखे नीचे
तो तुम रहोगी हमेशा पीछे....
मुझे आज भी याद है
वो शाम
जब लिखा था तुमने मेरा नाम
अपनी डायरी में
तुम्हारे नाम के पीछे
और मैं लड़ी थी तुमसे
आगे लिखने के लिए
तुम न माने थे
आगे रहे
और आगे निकल गए
मैं अब लिखती हूँ
तुम्हारा नाम
मेरे नाम के पीछे
क्यों, कोई मुझसे ये न पूछे
हिसाब अब भी बाकी है
पूरा करूगी
अगले जनम ......
14 comments:
हृदयस्पर्शी रचना। मन के रिश्तों में कोई भले ही आगे निकल जाये, पीछे रह जाये, पास हो या दूर, हर अपना हर पल हमारे साथ ही होता है
रात कितनी भी गहराये,
दिन आयेगा, दिन आयेगा।
Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.
Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.
Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.
Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.
तम का अंतिम प्रहार सबेरा है,रश्मि रथी का डेरा है दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
सुन्दर रचना
बहुत बढ़िया रचना !
नई पोस्ट हम-तुम अकेले
भावपूर्ण प्रस्तुति |
बेहद भावपूर्ण रचना...
sundar rachna
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
स्वस्थ रहो।
प्रसन्न रहो हमेशा।
सुंदर रचना, पर प्यार में हिसाब कहां..........।
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