Wednesday, October 30, 2013

हिसाब अब भी बाकी है ....


मुझे आज भी याद है
वो शाम
जब लिखा था तुमने मेरा नाम
अपनी डायरी में
तुम्हारे नाम के पीछे
और मैं लड़ी थी तुमसे
आगे लिखने के लिए
तुमने कहा था-
मैं सूरज  हूं
जिन्दगी में राह बनाता चलूंगा
इसलिए आगे मैं रहूंगा
तुम हो चाँदनी
जिसमें रहती हैं आँखे नीचे
तो तुम रहोगी हमेशा पीछे....


मुझे आज भी याद है
वो शाम
जब लिखा था तुमने मेरा नाम
अपनी डायरी में
तुम्हारे नाम के पीछे
और मैं लड़ी थी तुमसे
आगे लिखने के लिए
तुम न माने थे
आगे रहे
और आगे निकल गए 
मैं अब लिखती हूँ
तुम्हारा नाम
मेरे नाम के पीछे
क्यों, कोई मुझसे ये न पूछे
हिसाब अब भी बाकी है
पूरा करूगी
अगले जनम ......

14 comments:

Smart Indian said...

हृदयस्पर्शी रचना। मन के रिश्तों में कोई भले ही आगे निकल जाये, पीछे रह जाये, पास हो या दूर, हर अपना हर पल हमारे साथ ही होता है

प्रवीण पाण्डेय said...

रात कितनी भी गहराये,
दिन आयेगा, दिन आयेगा।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

Aankhein moonde ek ek lafz mahasoos karne ki koshish kar raha hoon.

Unknown said...

तम का अंतिम प्रहार सबेरा है,रश्मि रथी का डेरा है दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।

Onkar said...

सुन्दर रचना

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत बढ़िया रचना !
नई पोस्ट हम-तुम अकेले

Unknown said...

भावपूर्ण प्रस्तुति |

मेरा मन पंछी सा said...

बेहद भावपूर्ण रचना...

vandana gupta said...

sundar rachna

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
स्वस्थ रहो।
प्रसन्न रहो हमेशा।

Asha Joglekar said...

सुंदर रचना, पर प्यार में हिसाब कहां..........।