Sunday, June 1, 2014

पंख लगा समय भागा...

समय तो निकल ही भागता है
हाथों से फिसलकर
ज्यों फिसल जाती है रेत
और टपक जाता है हर लम्हा
ज्यों टपकती है बूँद पानी की हाथों से
रह जाते हैं निशाँ
गहरे होकर
हादसे से हुए जख्मों के
क्यों कि
रिसता रहता है घाव
हर संवेदना व्यक्त करने वाले के साथ
मोमबत्ती जलाने से टपका मोम
हरा रखता है जख्मों को
या फिर कई और तरीके भी तो हैं...
समाचार बनाने के ...
कड़े शब्दों में निंदा करना
बहुत आसान होता है
या फिर
बस एक ट्वीट
फिर "केदार" पूजे जाएंगे ही
और बहा ले जायेगी गंगा
सारे अस्थिपंजर इस बार
बाँट दिए गए हैं मुआवजे
सोलह जून केे
जारी हो गए मृत्यु प्रमाणपत्र
हो चुके हैं चुनाव
आई पी एल भी उफान पर है
डाक्टरों की भी जांच जारी है
शिक्षा डिग्री की होती है
संस्कारों की नहीं ...
.
.
.
मगर "मायरा"
मेरी बच्ची ! तुम
कब बड़ी हो जाओगी
अपनी मम्मी की तरह..
ये बता पाना मुश्किल होगा
किसी के भी लिए
क्योंकि
समय तो निकल ही भागता है
हाथों से फिसलकर .......
-अर्चना
(फोटो - मम्मी-पापा के साथ मायरा और पल्लवी (मायरा की मम्मी) मायरा की नानी के साथ )


9 comments:

Smart Indian - अनुराग शर्मा said...

:) शुभकामनायें!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत शुभकामनायें ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कभी कभी नि:शब्द कर देती हो तुम..
मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा,
बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है!

प्रतिभा सक्सेना said...

मायरा,
देखा न तुमने -नानी की गोद में नन्हीं-सी माँ को ,तुम भी ऐसी ही नन्हीं बच्ची हो अभी माँ की गोद में !बढ़ता हुआ समय ही ढाल रहा है इतने रूप जो चलेगा अपनी चाल से .और तुम्हें अभी विकसना है नए रूपों में, नये भविष्य के लिए.

Asha Joglekar said...

जिंदगी चलती रहती है चलना भी चाहिये। मायरा को शुभ कामनाएं कि उसके बडे होते होते लोगों की संवेदनाएं वापिस लौट आयें।

कविता रावत said...

मायरा को शुभाशीष
जब तक बच्चा छोटा रहता है बड़ी उत्सुकता बनी रहती है उसके बड़े होने की। . फिर कब बड़े होते चले जाते हैं पता ही नहीं चलता

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

अर्चना जी , आपकी ममतामयी गोद में मायरा बडे सुन्दर और सुरक्षित रूप से कब बडी होजाएगी आपको पता भी न चलेगा । मायरा को बहुत सारा प्यार और शुभाशीष

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

अर्चना जी , आपकी ममतामयी गोद में मायरा बडे सुन्दर और सुरक्षित रूप से कब बडी होजाएगी आपको पता भी न चलेगा । मायरा को बहुत सारा प्यार और शुभाशीष

बाल भवन जबलपुर said...

bahut khoob