Saturday, October 17, 2015

हे भगवान !

इतने पुरस्कार 
आदान-प्रदान 
जान -पहचान
तू मेरा मेहमान 
मैं तेरा मेहमान 
किसकी आन
किसकी शान
झकास जलपान
सब बेईमान
मेहरबान
कदरदान
क्या गीता
क्या कुरआन
गूंगा करे बखान
करो गंगा स्नान
ठुकरा कर सम्मान
कुछ दान
कुछ ध्यान
बनो महान
करो कल्याण
पकड़ो कान
बख्शो जान
हे भगवान !

4 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर..

Onkar said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कॉर्प्रॉट सोशल रिस्पोंसबिलिटी या सीएसआर कितना कारगर , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

जसवंत लोधी said...

सुन्दरम Seetamni. blogspot. in