आज मन हुआ है उन मुलाकातों को अंकित करने का जो हुई अंतर्जाल की दोस्ती के बाद ...
जब ब्लॉग लिखना शुरू हुआ तो लोगों से परिचय बढ़ने लगा.....बातचीत होने लगी ...बहुत ब्लॉगरों से चैट पर समस्याएँ साझा की और हल निकाले .....पर मुलाक़ात शुरू हुई संजय कुमार चौरसिया जी से जिनकी एक ब्लॉगपोस्ट का पॉडकास्ट बनाया था ....और वे ग्वालियर से इंदौर किसी काम के सिलसिले में आए थे....
कुछ ही दिन बाद स्कूल की ओर से ग्वालियर जाना हुआ,वहाँ वे अपने घर ले गए....पत्नी गार्गी और बच्चों से मिलवाया ...गार्गी ने खूब खिलाया नाश्ता ....ये गार्गी दीपक मशाल की बहन है...
फिर एक दिन ब्लॉगर ताऊ जी के बेटे ने शाम को दरवाजे पर दस्तक दी.....खुलने पर हाथों में फूलों का गुच्छा और मिठाई लिए संदेसा सुनाया - आपके मित्र समीर लाल जी ने भिजवाया है ....जन्मदिन था उस दिन मेरा......सालों बाद किसी ने फूल भिजवाकर बधाई पहुंचाई थी.....रचना के मार्फ़त जानता है पूरा परिवार मेरा समीर जी को
ये भी पता चला की ताऊ जी ने इंदौरी स्वाद की खातिर केक न भिजवाकर काजू कतली भेजी थी.....हाँ तो मुलाकात तो भरत से हुई....
फिर एक दिन गिरीश बिल्लोरे जी सपरिवार पधारे.....और साथ आई थी उनकी बुआ जी (मासी जी,भूल रही हूँ) .. बड़ी खुश थी ये जानकर की कम्प्यूटर पर ऐसी दोस्ती भी होती है..उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि पहली बार मिल रहे हैं .
फिर रायपुर यात्रा हुई ....ललित शर्मा जी के सौंजन्य से ......यहाँ मुलाकात हुई वीर जी ,संजीव जी,अवधिया जी,अशोक जी, स्वराज करूण जी,अनुज और राहुल सिंग जी से राहुल जी के घर बैठकी में......
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रीवा जाना हुआ तो मिली सादी सी -सीमा सदा
फिर पटना यात्रा में मिला अनुभवप्रिय
फिर आया दीपक मशाल...मेरे घर ....एक पूरा दिन
फिर लखनऊ ट्रिप पर मिले सपत्नीक रवि रतलामी जी....संजय भास्कर से बहुत पहले से बात होती रही थी यहां वो मिलने आया था.....
गिरिज पंकज जी और रूपचन्द्र शास्त्री जी ने देखते ही पहचान लिया था ...
यहीं इस्मत जी सबसे घूम घूम मुलाक़ात कर रही थी वे मिली...
..शेफाली पांडे बगल में ही बैठी थी..... बाकि लोग बाद में दोस्त बने ...और फेसबुक पर दोस्ती हुई
शिखा वार्श्णेय रूस की स्मृतियों में ले गई साथ ....
वीर जी के साथ शिवम भी आकार मिले ...
लेकिन उदयवीर जी ने पॉडकास्ट का जिक्र किया और उनकी आवाज में गीत भी सुनाया था ...
और रमा द्विवेदी जी भी मिली -
रविन्द्र प्रभात जी ने तो आयोजन ही रखा था.....गेस्ट हाउस में मिली थी सुनीता शानू जी खाने पर...अविनाश वाचस्पति और फोटोग्राफर की भूमिका में संतोष त्रिवेदी जी ...
छोटा सा फुर्तीला गोरा चिट्टा लड़का नीरज जाट भी यहीं मिला और सपत्नीक मुकेश सिन्हा भी ....
गिरिश पंकज जी और शैलेन्द्र भारतवासी के साथ बाद में फोटो लिया ...
फिर अचानक से मुलाक़ात हुई शिक्षक दिवस के एक संगीत प्रोग्राम में कविता वर्मा जी से ...
और फ्रेंडशिप डे के दिन उनके घर हो आई ...
फिर वत्सल के यहां मैसूर गई थी .वहाँ से जाना था राँची.. अकेले.......
प्रवीण पाण्डेय जी और श्रद्धा जी ने जो आवभगत की बंगलौर में हमेशा याद रहेगी मुलाकात .रात रुकना था तो कराओके पर गाने भी गाए..... खूब हँसे.......पृथु और देवला के साथ ....
फिर शैलेश भारतवासी और उनके दोस्तों क़े साथ रात सराफा घूमना ..वही मुहर्रम के दिन वे भी भूल न पाएंगे......और मैं भी.....
अगले ही दिन मुकेश तिवारी जी से मुलाकात हुई...जो इंदौर में ही रहते हैं पता चला ,लखनऊ में वे भी थे...
फिर अनूप शुक्ल जी से मुलाक़ात हुई अचानक .......
और फिर एक मुलाक़ात हुई भिलाई में वीर जी से वे साथ लाए थे शरद कोकास जी को और संजीव तिवारी जी से भी दूसरी बार मिल रही थी ...और वीर जी से तीसरी बार
फिर आई बंगलौर..... बॉटनिकल गार्डन में बुलाया शेखर सुमन को...वत्सल लेकर गया मुझे....दो चश्मिशों के साथ खूब अच्छा लगा
गिरिजा जी का फोन आया ....उनके घर जाकर मिली....मगर मन न भरा तो फिर एक दिन पूरा उनके साथ बिताया ....आलू की कचोरी खूब स्वादिष्ट बनाती हैं वे
यहाँ से उड़कर गाँधीनगर में सलिल भैया भाभी से मिल आई हूँ.....
और आनन्द गुणेश्वर से भी गांधीनगर में ही
अब फिर बंगलौर में हूँ...
.आशीष श्रीवास्तव जी खाना बहुत अच्छा बनाते हैं प्रमाणित कर चुके हैं
रश्मि दी मुलाक़ात का सारांश बता ही चुकी हैं
विवेक रस्तोगी जी को हरी मिर्च की चटनी मैं खिला चुकी हूँ...
एक बात बताना भी जरूरी है यहां ....दिलीप तिवारी मैसूर में था ....तब मैंने उसके ब्लॉग से पॉडकास्ट बनाए थे ....उससे बातचीत में मैंने बताया था कि मेरी भतीजी वैदेही का जन्मदिन है
और मेरा छोटा भाई वहीं है.....भाई को नम्बर दिया,उन दोनों ने बात की,और अगले दिन दिलीप जन्मदिन की पार्टी में परिवार से मिला......मैं नहीं मिली अभी ....
और कोई छूटा तो नहीं ...याद करके एडिट कर लूँगी....और हाँ सबकी लिंक भी तो लगानी है
देखिए कहा था न किसी को भूली तो नहीं ..और संध्या जी को ही भूल गई ...जबकि इनसे तो बात से भी पहले मुलाक़ात हुई थी.......और इन्होंने अपने घर ले जाकर खाना भी खिलाया था ......खुद बनाकर .......मेरे पोस्ट लिखने का उद्देश्य भी यही था कि मैं किसी को भूल न जाऊँ....संध्या जी से माफ़ी के साथ उनकी आभारी भी हूँ की उन्होंने याद दिलाया ...मैं बहुत शर्मिंदा भी हूँ....क्यों याद नहीं रहा......खाना खाकर भी भूल गई .....
तो मान गए न ! अच्छे दिन आ गए मेरे........