-मेडम प्लीज....
बाजू से आवाज आई तो मुड़कर देखा मैंने , एक पुरानी स्टूडेंट की माँ ने मुझे पुकारा था..
- मेडम प्लीज थोड़ा रूकिए , आपसे एक बात करनी है..
मैं रूक गई, - जी कहिए कहते हुए ...
उन्होंने कहा -दो मिनट.. और उन शिक्षिका से जल्दी-जल्दी बात खतम की जिनसे मिलने के लिए आई थीं।
उनकी बेटी अच्छा खेलती थी , मुझे याद आया एक बार टीम में सिलेक्शन भी हुआ था ,मगर तब बाहर भेजने से मना कर दिया था घर से तो मैंने उसके माँ-पिताजी से बात की थी और राजी किया था भेजने को ... तब पिता ने बड़े खुश होते हुए अपनी सहमति जताई थी कहा था कि मैं भी खिलाड़ी रहा हूँ ....इसकी मम्मी ही मना करती है , डरती है ,बाहर भेजने से ...
तभी वे मेरे और निकट आ गई और पास आकर कहा -
- नमस्ते , माफ़ कीजिए आपको ऐसे रोकना पड़ा, पर बहुत दिनों से आपसे एक बात बताना चाहती थी ,आज आप दिख गई तो....
-जी नमस्ते ,कोई बात नहीं ... कहिए क्या कहना है आपको ?मैंने पूछा
- जी आपने उनसे कुछ बात की थी आठ दस माह पहिले....कुछ फ़ेसबुक ....अपने पति के बारे में याद दिलाया उन्होंने...
मुझे याद आया, मैंने बताया - हाँ ,हाँ .. वो आजकल उम्र गलत डालकर बच्चे अकाउंट बना लेते हैं, लेकिन मुझे फ़्रेंड रिक्वेस्ट भी भेज देते हैं....मैं एड कर लेती हूँ ...और समय-समय पर कुछ अच्छा पढ़ने की लिंक देती रहती हूँ ......आपकी बेटी के फोटो पोस्ट देखे थे, कुछ अजीब से थे ,अच्छे नहीं लगे थे मुझे सेल्फ़ी और चेहरा पहचान कर नाम देखा तो नाम अलग था.... मुझे कुछ गलत लगने पर मैंने मेसेज में पूछा भी था कि- नाम गलत क्यों है? तो कोई जबाब नहीं मिला था ......
.... और अचानक एक-दो दिन बाद ही उसके पापा से मुलाकात हो गई तो उनसे पूछा था कि बेटी के पास फोन है क्या? नेट यूज करती है क्या ?,उन्होंने कहा- है तो, मगर नेट यूज नहीं करती ,मैंने कहा -तो फिर साईबर कैफ़े वगैरह जाती हो ...
उन्होंने ना ही कहा था... बताया था कि बस उसकी मम्मी का फोन यूज करती है कभी-कभी..और उसमें नेट है....और पूछा -मगर क्यों?
और मैंने उन्हें बताया था कि उसकी फोटो देखी थी, इसलिए सहज पूछा...
-नहीं-नहीं , उसकी हो ही नहीं सकती ,आपने गलत देख लिया होगा ...कहते हुए उन्होंने अपनी बात रखी थी ...मैंने कहा था कि कोई बात नहीं ,हो सकता है मुझसे गलती हुई हो, आज कन्फ़र्म करके फिर आपको फोन करूंगी, और उनका नम्बर ले लिया था....
घर जाकर देखा भी था तो अकाउंट डिलिट हो चुका था ...मैंने फिर कोई बात नहीं की ...मैं तो उस बात को भूल भी गई अब ....
- जी , जी ... उससे बहुत गड़बड़ हो गई थी... बात बहुत बिगड़ गई....
- मगर हुआ क्या ? मुझे तो बताना ही था....
- जी, वो तो सही है , मगर उस बात पर उन्होंने बहुत पिटाई की थी बेटी की भी और मुझे भी बहुत पीटा ...
- अरे! .... ...आप मिलती तो आपको भी मैं यही बताती.... अगर ऐसा हुआ तो उन्होंने बहुत गलत किया , उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था..
-जी वही आपको बहुत दिनों से मिलकर बताना चाहती थी ,बात तलाक तक आ गई थी ...उन्होंने तो मेरे माता-पिता को भी बुलाकर बोल दिया था कि -अपनी बेटी को ले जाईये यहाँ से ....खुद भी बिगड़ी हुई है और बेटी को भी बिगाड़ रही है ........उनके लिए तो अच्छा ही होता न !
-अरे!!! मैं अवाक थी ....
-उस दिन घर आकर वे बहुत नाराज हुए थे ,और गुस्से में डाँटा भी था मुझे और बेटी को भी फ़िर समझाया भी उसे ... फिर किसी काम से बाहर चले गए ,मैंने सोचा बात खतम हो गई ... मगर दूसरे दिन तो उनका गुस्सा चरम पर था , बहुत पी कर आए और घर पर ही मेरे और बच्चों(एक बेटा भी है उनका) के सामने बॉटल लेकर बैठ गए, धमकाने लगे - कि देखो अब मैं क्या करता हूँ ....वो वाला मोबाईल भी फ़ेंककर तोड़ दिया , आज भी अलमारी में रखा है , कभी दिखाउंगी आपको .....
मैंने पूछा - क्या आप जानती थी कि बेटी फ़ेसबुक यूज करती है ? और उसने किस तरह के फोटो पोस्ट किए है? और क्या उसके पापा को ये बात पता नहीं थी?
उन्होंने कहा- जी ,मुझे पता था, उनके पापा को नहीं बताया था मैंने, उन्होंने पहले ही मना किया था, लेकिन आप तो जानती है आजकल दूसरे बच्चों को देखकर बच्चे का मन भी होता है , और एकदम बन्द तो नहीं कर सकते हैं सब, रोकटोक लगा देंगे तो उतना ही जानने की इच्छा बढ़ती है, और बच्चे छुपकर करेंगे फिर.. मैंने ही बनवाया था,हाँ मैंने उसे समझाया था कि फोटो वगैरह न पोस्ट करे....
- मगर आपको उन्हें(आपके पति को)बताना चाहिए थी यही बात ...
-एक बात बताईये जिस आदमी के साथ १७-१८ साल बिता लिए हों और फिर भी उसे मुझ पर भी शक हो ,किसी से बात नहीं करने देना,मिलने नहीं देना आदि....जिसको खुद करे तो वही बात अच्छी लगे और दूसरे करें तो बुरी जैसे वे अपनी पुरानी मित्र ?परिचित से मिलें तो मेरे सामने ही गले मिलें और अगर मैं ऐसा करूं तो जमीन-आसमान एक हो जाए .... जिस आदमी को आप समझा नहीं सके इतने सालों बाद भी तो उसे वैसे ही छोड़ देना चाहिए न मैडम ....क्या किया जा सकता है , पर बहुत कुछ तो जमाने के साथ भी चलना पड़ता है बच्चों को आगे बढ़ाना है तो उनको भी सारी जानकारी होनी चाहिए या नहीं ?...
- मुझे ये सब नहीं पता, मैंने तो सोचा भी नहीं कि वे इस तरह बर्ताव करेंगे,वे तो खुद खिलाड़ी भी रहे हैं, बताया था मुझे .... लेकिन एक बात बताईये - नाम भी अलग था... मैंने तो फोटो देखकर ही पहचाना था, और मैं उसे पहचानने में भूल कैसे कर सकती हूँ.?
- जी वो मैंने ही कहा था कि चेहरा और नाम एक हो तो बहुत मुश्किल हो सकती है, नाम से तो पूरा समाज जान जाएगा , " ........" लिख देने से ही सारा समाज बातें बनाने लगेगा ... और हमारे समाज में तो बस लोगों को मौका ही मिलना चाहिए ....
मैं सन्न थी सारी बातें जानकर.... हैरान थी ऐसे माता-पिता से मिलकर...और मुझे याद आया कि उस बच्ची के पापा से बताने के बाद मैंने एक बार मेरे सामने आने पर उससे पूछा भी था कि तुम्हारा अकाउंट फ़ेसबुक पर था न ? ...जी वो अब नहीं है डिलिट कर दिया ...... कह कर नजरें झुका ली थी उसने... मैंने कहा था -हाँ वही ,,तुम्हारे पापा से बताया था मैंने....और मेरे मेसेज का जबाब क्यों नहीं दिया था तुमने तब?
.... " जी ...वो.... , डर गई थी मैं" बस इतना ही कहा था उसने ...... बाकि कुछ भी बताया नहीं था मुझसे ...
अगर माँ से मुलाकात न होती तो मैं कभी जान भी नहीं पाती .... :-(
...
सारी बात सुनकर मैंने उस बच्ची की माँ से सॉरी कहा ,कहा कि- आपकी भी गलती है,आपको छुपाकर नहीं करना चाहिए मुझे नहीं पता था कि इतना कुछ हो जाएगा ,मगर आप यकीन रखिए अगर उनसे पहले आप मुझसे मिली होती तब भी मैं यही सब आपसे कहती .....
- जी बिलकुल ठीक है आपका कहना , अच्छा लगा कि आप इतना ध्यान रखती हैं , लेकिन कभी-कभी इन्सान जो बाहर से दिखता है वैसा होता नहीं .... भीतर से ....
मैंने पूछा- अब सब ठीक है?
- जी अब तो ठीक है, नया मोबाईल भी दिलवा दिया है बेटी को ...और अब बेटी को अपने किसी भी दोस्त से मिलना होता है तो पहले ही पापा से बता देती है कि हम एक क्लास में है और इससे कॉपी -किताब लेनी है ...या कहीं जाना है तो किन-किन दोस्त और सहेली के यहाँ और किनके साथ जा रहे हैं ......
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इस बात को बहुत साल हो चुके ... याद आई .....जब घुघुति बासुती जी ने फ़ेसबुक पर सवाल किया था-
अर्चना चावजी, क्या इस उम्र में भी अपनी फोटो नेट पर न आने देने के पीछे अचेतन में छिपा यह कारण उस समय के हरियाणा के बारे में कुछ कहता है? और उस जमाने में तो स्त्रियों का अनुपात भी इतना बुरा न रहा होगा. टी वी भी नहीं आया था. पोर्न भी नहीं था. जो था वह वहां की महान संस्कृति भर के कारण था.
मैंने जबाब दिया था -
कुछ ? ... बहुत कुछ कहता है .... मैं हमेशा सोचती हूँ... सोचती रही हूँ ... खासकर आपके फोटो न डालने पर .... कोई कारण समझ नहीं आता था... लेकिन अब लग रहा है,आप जहाँ जन्मी होंगी और मैं जहाँ जन्मी ... जमीन -आसमान का फर्क रहा होगा....
हालांकि डरते तो हम भी थे .... पर इतने की कल्पना नहीं की थी.....
ज्यादातर दबंग कहलाने या कहलाना पसंद करने वाले लोगों का दब्बूपना उनके व्यवहार और उनके द्वारा अपनाए जाने वाले रीति-रिवाजों में दिखाई देता है.........